प्रात:काल आश्रय का पद


प्रात समे श्री वल्लभसुत को उठत ही लीजिये रसना नाम।
आनंदकारी प्रभु मंगलकारी अशुभहरण जन पूरण काम।
याही लोक परलोक के बन्धुको कही सके तिहारो गुणगान।
नंददासप्रभु रसिक शिरोमणि राज करो श्री गोकुल सुख धाम।

अर्थ--आनंदनिधान, मंगलकारी, अशुभहर्ता और जीवों की सर्व कामना पूर्ण करने वाले
श्री वल्लभसुत अर्थात श्री गोपीनाथ जी एवं
श्री विट्टठल जी का सुबह उठ कर नाम स्मरण करने चाहिये।इसलोक और परलोक में ऐसा कोई नहीं जो आप श्री के गुणों का गान पूर्णतया कर सके।
नंददास जी विनती करते हैं कि हे रसिक शिरोमणि आप सुख के धाम श्रीगोकुल में सदा राज करो।