श्री यमुनाजी:के पद


श्री यमुनाजी:ः-
१)
रामकाली :-
यह प्रसाद हो पाऊँ श्री यमुना जी। तुम्हरे निकट रहौ निसि- बासर राम- कृष्ण गुन गाऊँ। मज्जन करों विमल जल पावन चिंता- कलेश बहाऊँ। तिहारी कृपा ते भानु की तनुजा हरि -पद -प्रीति बढाऊँ । बिनती करों इहै बरु माँगों अधम- संग बिसराऊँ। 'परमानंददास 'सुख -दाता मदनगोपालहिं भाऊँ । ।

:अर्थ--
.हे श्री यमुना जी! मुझे यही प्रसाद प्रप्त हो की रात- दिन तुम्हारे समीप रहता हुआ श्री राम -कृष्ण का गुनगान करता रहूँ। तुम्हारे पवित्र निर्मल जल में स्नान करूँ, चिन्ता और पाप को धो डालूँ। हे सूर्य सूता! तुम्हारी कृपा से मेरी प्रभु चरणों में मैं प्रीति बढ़े। मै विनती करता हुआ यही वर मांगता हूँ कि पापियों के संग से सदा दूर रहूँ , जिससे मै परमानंद दास सुखदाता श्री मदन गोपाल का प्रिया हो जाऊँ।